अंक ज्‍योत‍िष से व्‍यक्ति के जीवन में अंकों के माध्‍यम से, द‍िन के माध्‍यम से, रंग के माध्‍यम से भौत‍िक प्रगत‍ि एवं आध्‍यात्‍म‍िक उन्‍नत‍ि का व‍िवेचन तथा उसके द‍िन प्रत‍िद‍िन महीने एवं वर्ष की प्रगत‍ि, अवनत‍ि, व‍िकास के बारे में बोध कराया जाता है।

व्‍यक्ति के जीवन में क‍िस अंक का क‍ितना महत्‍व है, क‍िस मूलांक के व्‍यक्ति से म‍ित्रता रखनी है, शत्रुता रखनी है, क‍िसके साथ व्‍यवसाय संबंध रखना है, दूरी रखनी है, किस द‍िन, तारीख को व्‍यवसाय या कारोबार प्रारंभ करना है। किसके साथ या अकेले कार्य करना है। समूह में क‍िसे सम्‍म‍िल‍ित कर भाग्‍योदय करना है, कि‍स व्‍यक्ति के सम्‍मेलन से भाग्‍य की मजबूती होती है। कौन सा अक्षर हमारे ल‍िए शुभकारी है या अन‍िष्‍टकारी है… इन सभी का मूल्‍यांकन अंक ज्‍योत‍िष करता है।

व्‍यक्ति का मूलांक

1- जन्‍मत‍िथ‍ि के द्वारा न‍िकाला गया मूलांक

2- व्‍यक्ति के नामाक्षर द्वारा न‍िकाला गया मूलांक

– जन्‍मत‍िथि का मूलांक व्‍यक्त‍ि के भौत‍िक प्रगत‍ि एवं व‍िकास को दर्शाता है एवं स्‍वभाव तथा व्‍यक्तित्‍व को भी बताता है। 

– व्‍यक्त‍ि के नामाक्षर द्वारा न‍िर्म‍ित मूलांक व्‍यक्त‍ि के अभौत‍िक एवं आध्‍यात्‍म‍िक पक्ष को दर्शाता है। 

उपरोक्‍त का भी सूक्ष्‍म व‍िवेचन है...

जैसे क‍िसी व्‍यक्त‍ि का जन्‍म 25/05/1962 है तो इसमें  
 
त‍िथि:  25 = 2+5 = 7 
महीना: मई  5 = 5 
वर्ष: 1962 = 1+9+6+2= 18 
18= 1+8 = 9

उपरोक्‍त में

जन्‍म तारीख से मूलांक न‍िकला (7)
यह अंक व्‍यक्त‍ि के व्‍यक्‍त‍िगत जीवन उसकी गोपनीयता एवं उसकी न‍िजी बातों से संबंध‍ित है।

महीने (मई) से न‍िकला (5) 

इस अंक से व्‍यक्त‍ि के जीवन की सामान्‍य दशाएं पता चलती हैं। 

वर्ष का मूलांक (9)

इसमें व्‍यक्त‍ि के वर्तमान काल तथा उसके भाग्‍यचक्र के महत्‍वपूर्ण वर्ष का पता चलता है। 

सभी एक से नौ अंकों का अध‍िपत‍ि ग्रह हैं और उस ग्रह के क्रमश: एक से नौ अंकों का अध‍िपत‍ि ग्रह क्रमश: सूर्य, चन्‍द्र, गुरु, हर्शल, बुध, शुक्र, वरुण, शन‍ि व मंगल हैं। 


अंक व‍िद्या में प्रथम नौ अंकों को महत्‍व द‍िया गया है। दस और उसके बाद की संख्‍या को जोड़कर उनका मूलांक बनाए जाते हैं। प्रत्‍येक व्‍यक्त‍ि का जन्‍म 1 से 31 तारीख में ही होता है और एक से नौ मूलांक ही प्रत्‍येक व्‍यक्त‍ि का होता है। 


ज‍िस व्‍यक्त‍ि का जो मूलांक होता है उस मूलांक से संबध‍ित ग्रह ही उस व्‍यक्त‍ि के जीवन का प्रत‍िन‍िध‍ित्‍व करता है और अपनी आदत, स्‍वभाव एवं लक्षण के अनुसार उस व्‍यक्त‍ि के जीवन को ढालता है।