ज्योतिष शास्त्र ऐसी विधा है जिसके माध्यम से व्यक्ति के जन्म से लेकर मृत्यु तक के जीवन काल में घटने वाली समस्त घटनाओं का व्यवस्थित व क्रमबद्ध जानकारी देता है। इसमें पूर्व जन्म का संकेत भी सम्मिलित है।
यह विधा मुख्यत: खण्डों में विभक्त है।
1- ज्योतिष गणित (Astronomy)
2- ज्योतिष फलित (Astrology)
ज्योतिष गणित में आकाशीय पिण्डों की भौतिक रचना, उनकी स्थिति व गति संबंधित गणित का विवेचन होता है। ज्योतिष फलित में व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाले ग्रहों के प्रभाव का मूल्यांकन किया जाता है। यह महत्वपूर्ण शास्त्र है। व्यक्ति के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव का विवेचन ग्रह, नक्षत्र उनकी दशा अर्न्तदशा एवं उनके गोचर के आधार पर किया जाता है।
जीवन के मुल्यांकन के लिए सूक्ष्मतम एवं विविध रूप में विश्लेषण किया जाता है। जैसे ग्रहों की उच्चता, निम्नता, स्वराशिस्थता, दृष्टि स्थिति, युति, कारकत्व, योगों का बनना, मारकेश की स्थिति, लग्न केंद्र, त्रिकोण मूल्यांकन, त्रिक भाव, पणफर व अपोक्लिम का निर्वचन, राशिगत भावगत, अंशगत निर्वचन।
ग्रहों का विशोंत्तरी, अष्टोत्तरी तथा योगिनी पद्धति। ताजिक फल की कुण्डली, प्रश्न कुण्डली, होरा, सुर्दशन पद्धति। वाराहमिहिर, पाराशर जी, वशिष्ठ जी, नारद जी, रावण जी द्वारा बताए सिद्धांतों से परीक्षण एवं चरक जी, रावण जी तथा लाल किताब के द्वारा ग्रहों के गुणों में वृद्धि एवं मानव जीवन पर बुरे प्रभाव का निवारण किया जाता है।
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