जातक की ज‍िस प्रकार की समस्‍या होती है उसी के अनुरूप उपचार है जो कर्मकाण्‍ड, अनुष्‍ठान, यन्‍त्र, रत्‍न, जड़ी, हवन, मंत्र एवं तंत्र के रूप में रहता है। क‍िसी व्‍यक्‍ति के शरीर का वि‍चार उसके लग्‍न चक्र से मन का व‍िचार चन्‍द्र चक्र से, आत्‍मा का विचार सूर्य चक्र से वार्ष‍िक दशा का व‍िचार सुदर्शन चक्र से क‍िया जाता है। 

नवग्रह से संबंध‍ित अनुष्‍ठान

– सन्‍तान गोपाल अनुष्‍ठान
– मां कात्‍यायनी अनुष्‍ठान
– कालसर्पयोग अनुष्‍ठान
– नारायण नागबलि अनुष्‍ठान
– महामृत्‍युंजय अनुष्‍ठान
– मारकण्‍डेय स्‍त्रोत व मृतसंजीवनी अनुष्‍ठान
– बालार‍िष्‍ट अनुष्‍ठान

तन्‍त्र

– मां बंगलामुखी अनुष्‍ठान
– मां तारा
– मां मातंगी

(आकर्षण,वशीकरण, स्‍तम्‍भन, उच्‍चाटन, व‍िद्वेषण, मोहन शान्‍ति करण अनुष्‍ठान)

बटुकभैरव अनुष्‍ठान

मां काली, भुवनेश्‍वरी साधना, त्रिपुर भैरवी, छ‍िन्‍नमस्‍ता, धूमावती, गोरखनाथ मंत्र साधना, यााबर मंत्र साधना, कमला साधना, पंचमुखी हनुमान साधना,पारदेश्‍वर महादेव साधना, अग्‍न‍िहोत्र

यंत्र

प्रसूति पीड़ा हरण यंत्र, मृत्यु कष्ट निवारण यंत्र, पिशाच कष्ट निवारण यंत्र, बालरक्षा वीसा यंत्र, आपत्‍त‍ि न‍िवारण यंत्र, कनक धारा यंत्र, गृह क्लेश निवारण यंत्र, गर्भरक्षा यंत्र, नजर दोष यंत्र, क्लेश हरण यंत्र, वीसा यंत्र, लक्ष्मी यंत्र, श्री यंत्र, मनोवांछ‍ित कार्य सिद्धि यंत्र, कुबेर यंत्र, वास्‍तु यंत्र, भाग्‍य श्री यंत्र, गोपाल यंत्र, व‍िनायक यंत्र, भाग्‍योदय यंत्र, सफलताप्राप्ति यंत्र, रोग न‍िवारण यंत्र